1.पहला लाभ—–: मंदिर जाना इसलिए जरूरी है कि वहां जाकर आप यह सिद्ध करते हैं कि आप देव शक्तियों में विश्वास रखते हैं तो देव शक्तियां भी आपमें विश्वास रखेंगी। यदि आप नहीं जाते हैं तो आप कैसे व्यक्त करेंगे की आप परमेश्वर या देवताओं की तरफ है.? यदि आप देवताओं की ओर देखेंगे तो देवता भी आपकी ओर देखेंगे। और यह भाव मंदिर में देवताओं के समक्ष जाने से ही आते हैं। 2.दूसरा लाभ—–: अच्छे मनोभाव से जाने वाले की सभी तरह की समस्याएं प्रतिदिन मंदिर जाने से समाप्त हो जाती है। मंदिर जाते रहने से मन में दृढ़ Read More
नगर निगम चुनाव के प्रत्याशियों को स्वच्छता पवित्रता जैसे मुद्दों को अपना अजेंडा बनानां चहिये। विसर्जन की समस्या हर परिवार की है साथ ही यह आस्था का मामला भी है. जो भी प्रत्याशी इन मुद्दों को अपना संकल्प व्यक्त करते है तो मतदाताओं की कृपा भी उनपर जरूर बरसेगी।
सद्भाव ~ समाज मे~~~~क्या इतना बड़ा विषय है कि ❓❓सद्भाव किससे ❓❓विद्वानों का मत है कि न्याय करने से अधिक न्याय होते दिखना चाहिए ??सद्भाव किनके बीच पहली प्राथमिकता ❓❓❓सद्भाव के आवश्यक तत्व ❓ भारतीय समाज में अनेक आभासी विरोधाभास भी विविधतायें भी।क्या ये सद्भाव केवल विभिन्न पंथो के मध्य या हमारे समाज मे स्वतः स्फुटित जातियो के मध्य। हमको प्राथमिकता तय करना होगा। या सभी के बीच।तो पहल कहां से ❓❓राष्ट्रीय आवश्यकता तो अनुभव मे आता है, कि राष्ट्र तो समविचार , समसांस्कृतिक व समव्यावहार से निर्मित भूभाग होता है तो पुनः वही प्रश्न , कि हमारी प्राथमिकता ? Read More
आज रविवार को बड़े पैमाने पर मंगलमान के अंतर्गत अभियान चलाकर शहर की अनेक भागों से पुरानी प्रतिमाओं को एकत्रित करने का कार्य समाजसेवी बंधुओं के माध्यम से किया गया। मंगलमान ने ई विसर्जन के लिए लखनऊ को चार भागों में बांटा है। संग्रह केंद्रों के पास पार्कों में भी विसर्जन का काम अनेक स्थानों पर किया जा रहा है। इसी क्रम में चिनहट इंदिरा नगर चौक में स्थानीय पार्को में हनुमंत जी , अनुपम जी, सत्यव्रत जी विवेक जी, शोभा जी, अजय जी के सहयोग से विसर्जन किया जा रहा है। कुछ प्रतिमाओं को गोमती नदी में बने विसर्जन Read More
मैं सक्षम हूं , मैं योग्य हूं ,मैं अवश्य सफल हूंगा , मैं जीतूंगा । मेरे असफल होने से मेरे परिवार , समाज व ईष्ट मित्रों का भी सम्मान घटेगा। इस प्रकार के भाव हमे निरन्तर आत्म शक्तिसंपन्न करते है। *जो होता है होने दो, यह पौरुष हीन कथन है**जो हम चाहेंगे वह होगा, इसमे ही जीवन है* ??*संकल्प*~~~~~ ● आत्म रक्षा > आत्म गौरव ● ● राष्ट्र रक्षा > राष्ट्र गौरव ● *आत्म रक्षा के आवश्यक तत्व*~~~~~~~~~~~~~~~~~आत्मावलोकन ।आत्म चितंन ।आत्म विश्वास । *आत्मावलोकन* — स्वयं की पहचान करना, स्वयं का मूल्यांकन करना, लक्ष्य निर्धारित करना, बाधक तत्वो [ कमियो Read More
प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास हुआ। इस वनवास काल में श्रीराम ने कई ऋषि-मुनियों से शिक्षा और विद्या ग्रहण की, संपूर्ण भारत को उन्होंने एक ही विचारधारा के सूत्र में बांधा, लेकिन इस दौरान उनके साथ कुछ ऐसा भी घटा जिसने उनके जीवन को बदल कर रख दिया।जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री अनुसंधानकर्ता डॉ. राम अवतार ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 200 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया है, जहां आज भी तत्संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके या रहे थे। वहां के स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों Read More
सोच बदल दो सच आएगा,झूठ प्रपंच सव छट जाएगा।नीम हकीम प्रथम सेवक हैं,गोबर गणेश गौरव पायेगा।। तुलसी वट पीपल है जीवन,यज्ञ हवन पर्यावरण सँवारे।व्रत त्योहार हैँ पावनता देते,संकल्प शक्ति से तप है धारे।। गांव में रहे गँवार नहीं बह,गांव में बह गौरव लाएगा।खेती का बहु उद्धमकारी,गौ गोमय से समृद्धि गायेगा।। गोवर्धन पूजा का शुभ दिन,गो धन की महिमा जानो।सोया हुआ स्वत्व जगाओ,पूजा के शुभ तत्व पहचानो।। बृजेंद्र।
अपनी अंगुलियों से नापने पर 96 अंगुल लम्बे इस मनुष्य शरीर में जो कुछ है, वह एक बढ़कर एक आश्चर्यजनक एवं रहस्यमय है। हमारी शरीर यात्रा जिस रथ पर सवार होकर चल रही है उसके प्रत्येक अंग-अवयव या कलपुर्जे कितनी विशिष्टतायें अपने अन्दर धारण किये हुए है, इस पर हमने कभी विचार ही नहीं किया। यद्यपि हम बाहर की छोटी-मोटी चीजों को देखकर चकित हो जाते हैं और उनका बढ़ा-चढ़ा मूल्याँकन करते हैं, पर अपनी ओर, अपने छोटे-छोटे कलपुर्जों की महत्ता की ओर कभी ध्यान तक नहीं देते। यदि उस ओर भी कभी दृष्टिपात किया होता तो पता चलता कि Read More
क्या आप जानते हैं कि…. धनतेरस का महापर्व क्या है… और, ये क्यों मनाया जाता है ???22 और 23 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा किंतु 22 अक्टूबर को प्रदोष काल में धनतेरस की पूजा ज्यादा ठीक होगी, जो लोग उदया तिथि के अनुसार मानते हैं वह 23 अक्टूबर को धनतेरस मना सकते हैं।अधिकतर लोग इसे धन की पूजा मानते हैं …तथा, इस दिन महंगे धातु खरीदते हैं… क्योंकि, हमने बचपन से ही अपने घर के लोगों को ऐसा करते देखते आए हैं …और, इसे दीपावली के एक भाग के तौर पर मनाते हैं. जबकि, सच्चाई थोड़ी भिन्न है… और, “धनतेरस” Read More
आज दिनांक 23/10/2022 को दीपावली के शुभ अवसर पर मंगलमान की योजनाओं से प्रभावित होकर अपनी टीम के साथ पिकनिक स्पॉट कुकरैल के पास पुरानी देवी देवताओं की मूर्तियां रखने के स्थान को साफ सफाई कर के पुरानी मूर्तियों का भूमि विसर्जन किया गया। इस प्रयास में मोहित लोधी जी,अरुण जी,अंकित जी,रोहित जी,राजकुमार जी,पंकज जी,विशाल जी,अरुण राजपूत जी आदि सदस्य सभी उपस्थित रहें। मोहित लोधीवार्ड मंत्रीइंदिरा प्रियदर्शिनी वार्ड6392675712