कोरोना काल में बड़ा मंगल

कोरोना के प्रकोप से पूरा देश कराह रहा है। बहुत से लोग शहर में बाहर से पढ़ने, कमाने या फिर किसी और काम से आये थे और फंस गए हैं। अनेको के पास रहने, खाने का कोई इंतजाम नहीं है। कई लोग रेस्टोरेंट या ठेले पर  बाटी-चोखा, पुड़ी-सब्जी खाकर  पेट भरते थे। लॉक डाउन होने के कारण वे भी फस गए है और भूखे सो रहे हैं। शहरी गरीबों की स्थिति तो और भी दयनीय है। जो लोग देहाड़ी मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते थे उनके काम धंधे बंद हो जाने के कारण अत्यंत ही दीन हीन अवस्था में Read More

भण्डारे में प्रसाद बाँटने वालों और प्रसाद लेने वालों से एक आग्रह..

“भण्डारा हमारी श्रद्धा है, तो स्वच्छता हमारी जिम्मेदारी। स्वच्छता का ध्यान रक्खें, और प्रसाद का मान रक्खें ।।” भण्डारे के प्रसाद को Status symbol मत बनाएंः हम सामान्य तौर पर पूजा के निमित्त जो प्रसाद बांटते हैं हनुमानजी.को उसका ही भोग लगाएं और वितरित करें । माँ दुर्गा का प्रसाद पूडी, चना और हलवा है, हनुमान जी को लड्डू और बूंदी प्रसाद चढता है जो उनको प्रिय भी है । गर्मी होने के नाते शरबत रखना भी उचित होगा । भण्डारे में पूडी सब्जी तो उचित लगता है पर.. पुलाव, आइसक्रीम छोला चावल, कढी चावल इत्यादि क्या भण्डारे में प्रसाद Read More

बी एस एन वी पीजी कॉलेज आयोजित करेगा पर्यावरण अनुकूल भंडारा

बप्पा श्री नारायण पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज 28 मई को दूसरे बड़े मंगल के अवसर पर कॉलेज परिवार की ओर से भंडारे का आयोजन करने जा रहा है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ राकेश चंद्रा ने कहा कि हमारे द्वारा आयोजित भंडारा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने का प्रयास करेगा। हम प्लास्टिक की बस्तुओं का उपयोग नहीं करेंगे और स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखेंगे। भंडारा हमारी श्रद्धा है, हम बड़े ही भाव से पूर्वक प्रत्येक वर्ष भंडारे का आयोजन करते है। पूरा कॉलेज परिवार इसे मिलकर संपन्न करता है। विशेषकर नॉन टीचिंग स्टाफ का योगदान सराहनीय होता है। बड़े मंगल पर लगने Read More

बड़ा मंगल त्यौहार व पर्यावरण सुरक्षा

लखनऊ में प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह में बड़ा मंगल का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है । इसमें हिन्दू व मुसलमान , दोनों ही समुदायों के नागरिक बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं । यह त्यौहार लखनऊ की संमिश्रित संस्कृति का अनूठा उदाहरण है । यह त्यौहार भारत के और स्थानों में देखने को नहीं मिलता । बताया जाता है की इस त्यौहार का उद्गम १७१८ ईस्वी में है जब अवध के नवाब की बेगम को स्वप्न में हनुमान जी ने दर्शन दिए और उनकी प्रेरणा पर बेगम ने अलीगंज में स्थित पुराने हनुमान मंदिर का निर्माण कराया । तभी Read More