पर्यावरण अनुकूल विसर्जन एक कठिन कार्य है, लेकिन मंगलमान अभियान एक वृहत् रुप लेगा। ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है।
हमारे मंगलमान अभियान के बन्धु/भगिनी व मातृशक्ति बधाई के पात्र हैं,जो सभी को जागरुक कर रहे हैं।जब यह योजना सभी लोगों के संज्ञान में आ जायेगी,तो काम आसान हो जाएगा।
बस सिस्टम समझने की जरूरत है। अभी तो एक सुपरवाइजर के द्वारा यह सुनने में आया,कि जोनल अधिकारी कह रहे हैं,कि ऐसी कोई योजना ही नहीं है।
इस अभियान को और अधिक गति देने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में गोष्ठी के माध्यम से नवयुवकों को जगाने की जरुरत है और इस विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता और जागरुकता रैली आदि करने की आवश्यकता पड़ेगी, जिनमें पार्षद बन्धु यदि सहयोग करेंगे,तो और अच्छा है।
साथ में अच्छे विसर्जन करने वाली संस्थाओं को सम्मानित किया जाना भी श्रेयस्कर रहेगा।
मूर्तियों के सृजन से लेकर विसर्जन तक की जिम्मेदारी समस्त हिन्दू समाज व विचार परिवार के संगठनों को लेनी होगी।
कार्यक्रम को हम कितना आकर्षक बना सकते हैं। यह विचार कर इसे विसर्जन उत्सव का रुप दिया जाय।
ऐसा मेरा विचार है।
संजय कुमार शुक्ला
अधिवक्ता, राष्ट्रवादी ब्राह्मण समाज