ई-विसर्जन का संकल्प ले प्रत्याशी, मतदाता करेंगे समर्थन

नगर निगम चुनाव के प्रत्याशियों को स्वच्छता पवित्रता जैसे मुद्दों को अपना अजेंडा बनानां चहिये। विसर्जन की समस्या हर परिवार की है साथ ही यह आस्था का मामला भी है. जो भी प्रत्याशी इन मुद्दों को अपना संकल्प व्यक्त करते है तो मतदाताओं की कृपा भी उनपर जरूर बरसेगी।

सामाजिक सद्भाव क्यों और कैसे?

सद्भाव ~ समाज मे~~~~क्या इतना बड़ा विषय है कि ❓❓सद्भाव किससे ❓❓विद्वानों का मत है कि न्याय करने से अधिक न्याय होते दिखना चाहिए ??सद्भाव किनके बीच पहली प्राथमिकता ❓❓❓सद्भाव के आवश्यक तत्व ❓ भारतीय समाज में अनेक आभासी विरोधाभास भी विविधतायें भी।क्या ये सद्भाव केवल विभिन्न पंथो के मध्य या हमारे समाज मे स्वतः स्फुटित जातियो के मध्य। हमको प्राथमिकता तय करना होगा। या सभी के बीच।तो पहल कहां से ❓❓राष्ट्रीय आवश्यकता तो अनुभव मे आता है, कि राष्ट्र तो समविचार , समसांस्कृतिक व समव्यावहार से निर्मित भूभाग होता है तो पुनः वही प्रश्न , कि हमारी प्राथमिकता ? Read More

मंगल सेवको ने श्रद्धा पूर्वक किया ई-विसर्जन

आज रविवार को बड़े पैमाने पर मंगलमान के अंतर्गत अभियान चलाकर शहर की अनेक भागों से पुरानी प्रतिमाओं को एकत्रित करने का कार्य समाजसेवी बंधुओं के माध्यम से किया गया। मंगलमान ने ई विसर्जन के लिए लखनऊ को चार भागों में बांटा है। संग्रह केंद्रों के पास पार्कों में भी विसर्जन का काम अनेक स्थानों पर किया जा रहा है। इसी क्रम में चिनहट इंदिरा नगर चौक में स्थानीय पार्को में हनुमंत जी , अनुपम जी, सत्यव्रत जी विवेक जी, शोभा जी, अजय जी के सहयोग से विसर्जन किया जा रहा है। कुछ प्रतिमाओं को गोमती नदी में बने विसर्जन Read More

आत्म रक्षा का मनोविज्ञान

मैं सक्षम हूं  , मैं योग्य हूं  ,मैं अवश्य सफल हूंगा ,  मैं जीतूंगा । मेरे असफल होने से मेरे परिवार , समाज व ईष्ट मित्रों का भी सम्मान घटेगा। इस प्रकार के भाव हमे निरन्तर आत्म शक्तिसंपन्न करते है। *जो होता है होने दो, यह पौरुष हीन कथन है**जो हम चाहेंगे वह होगा, इसमे ही जीवन है*  ??*संकल्प*~~~~~  ● आत्म रक्षा  >  आत्म गौरव ●  ● राष्ट्र रक्षा    >  राष्ट्र गौरव    ● *आत्म रक्षा के आवश्यक तत्व*~~~~~~~~~~~~~~~~~आत्मावलोकन ।आत्म चितंन ।आत्म विश्वास । *आत्मावलोकन* —  स्वयं की पहचान करना,  स्वयं का मूल्यांकन करना,  लक्ष्य निर्धारित करना,  बाधक तत्वो [ कमियो Read More

वनवास के दौरान श्रीराम से जुड़े स्थान

प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास हुआ। इस वनवास काल में श्रीराम ने कई ऋषि-मुनियों से शिक्षा और विद्या ग्रहण की, संपूर्ण भारत को उन्होंने एक ही विचारधारा के सूत्र में बांधा, लेकिन इस दौरान उनके साथ कुछ ऐसा भी घटा जिसने उनके जीवन को बदल कर रख दिया।जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री अनुसंधानकर्ता डॉ. राम अवतार ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 200 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया है, जहां आज भी तत्संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके या रहे थे। वहां के स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों Read More