भारतीय दर्शन में स्वास्थ्य को सर्वोपरि स्थान दिया गया है, स्वास्थ्य को सबसे बड़ी पूंजी कहा गया है। जब भारतीय जनसामान्य में सुखों की चर्चा होती है तो हमेशा कहा जाता है की ‘पहला सुख-निरोगी काया’ अर्थात सुख का पहला पायदान शरीर का स्वस्थ होना माना गया है। आज कोरोनाकाल में यह वाक्य संपूर्ण विश्व के लिए प्रासंगिक हो गया है। आधुनिकता की अंधी दौड़ और अर्थ की प्रधानता ने स्वास्थ्य जैसे हम अहम विषय को कहीं पीछे छोड़ दिया है। बहुतायत में लोग लाइफ़स्टाइल डिजीज की गिरफ्त में आकर भी इस अंधी दौड़ में दौड़े जा रहे हैं। कोरोना Read More
कार्यक्रम सूचनाएं
दिनांक: 10 जून से 25 जून स्थान: ऑनलाइन प्रतिभागी: 9 से 14 वर्ष के बालक-बालिकाएँविभिन्न प्रदेशों से कार्यक्रम का विवरण: 1....
लखनऊ का बड़ा मंगल विश्व में लखनऊ की एक अलग ही पहचान दिलाता है। इस पहचान को परंपरा को आगे बढ़ाने...
दिनांक 25 मई 2024 को ज्येष्ठ के बड़े मंगल के आयोजनों को प्रभावी बनाने हेतु नगर निगम कार्यालय के मुख्य हॉल...
महिलाओं की सहभागिता भंडारों में न केवल एक समुदाय के लिए सोशल जस्टिस की प्रक्रिया है, बल्कि यह उन्हें स्वतंत्रता, स्वावलंबन,...
भंडारा का आयोजन करने के लिए स्थान का चयन सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों, संगठन की योजना और सामाजिक उद्देश्यों के आधार...