भारतीय दर्शन में स्वास्थ्य को सर्वोपरि स्थान दिया गया है, स्वास्थ्य को सबसे बड़ी पूंजी कहा गया है। जब भारतीय जनसामान्य में सुखों की चर्चा होती है तो हमेशा कहा जाता है की ‘पहला सुख-निरोगी काया’ अर्थात सुख का पहला पायदान शरीर का स्वस्थ होना माना गया है। आज कोरोनाकाल में यह वाक्य संपूर्ण विश्व के लिए प्रासंगिक हो गया है। आधुनिकता की अंधी दौड़ और अर्थ की प्रधानता ने स्वास्थ्य जैसे हम अहम विषय को कहीं पीछे छोड़ दिया है। बहुतायत में लोग लाइफ़स्टाइल डिजीज की गिरफ्त में आकर भी इस अंधी दौड़ में दौड़े जा रहे हैं। कोरोना ने संपूर्ण मानव जाति को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है। मानव कोरोना की विभीषिका में सब कुछ भूल कर स्वयं के अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है और उत्तम स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है। आज पुनः स्वास्थ्य प्रथम पायदान पर दिख रहा है।
वर्ष 2020 में कोरोना के प्रकोप के बीच मंगलमान अभियान ने इस विषय पर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक मंगलवार ई-भंडारे के रूप में आयुर्वेदिक काढ़े का वितरण आरंभ किया जो अनवरत जारी है। इस वर्ष कोरोना की दूसरी लहर ने बहुत तेजी से लोगों को प्रभावित किया है। कोविड-19 से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर लोगों को उनके घर में रहते हुए उचित जानकारी एवं परामर्श उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मंगलमान अभियान ने ऑनलाइन इंटरएक्टिव सेशन की एक श्रृंखला प्रारंभ की है, जिसमें चिकित्सा क्षेत्र के विभिन्न विशेषज्ञों की सहायता से यह जानकारी जनसामान्य तक पहुंचाने का एक प्रयास किया जा रहा है।
इस श्रंखला के प्रथम ऑनलाइन इंटरएक्टिव सेशन का आयोजन दिन मंगलवार. दिनांक 20 अप्रैल, 2021 को प्रातः 10:00 बजे से किया गया। इस कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ के रूप में लखनऊ जिले के भूतपूर्व सीएमओ डॉ नरेंद्र अग्रवाल एवं लखनऊ के जाने माने बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अतुल रस्तोगी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की आरंभ में सभी सहभागियों एवं विशेषज्ञों को श्री हनुमान चालीसा का पाठ सुनाया गया। इसके पीछे यही उद्देश्य है कि इस महामारी के बीच लोगों को मानसिक रूप से सकारात्मक और उनके मनोबल को दृढ़ रखा जाए। इस हेतु श्री हनुमान जी से श्रेष्ठ कौन हो सकता है क्योंकि वह अपरिमित मनोबल की जीती जागती प्रतिमूर्ति हैं। इसके उपरांत कार्यक्रम संयोजक डॉ रामकुमार तिवारी द्वारा डॉ नरेंद्र अग्रवाल जी से आग्रह किया गया कि कोविड-19 से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए घरों में बंद जनसामान्य को आप क्या संदेश देना चाहेंगे।
डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कोविड-19 एक बहुत तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है। किसी भी बीमारी की स्थिति में एक ही मूल वाक्य है “इलाज से बेहतर रोकथाम”। संक्रामक बीमारियों के लिए यह वाक्य और अधिक प्रासंगिक हो जाता है। एक चिकित्सक के रूप में मैंने बहुत सी संक्रामक बीमारियों का दौर देखा है फिर चाहे वह चिकन पॉक्स हो, हैजा हो, स्वाइन फ्लू आदि हो लेकिन कोविड-19 जितना तेज संक्रमण किसी बीमारी में नहीं देखा गया है। जब कोई व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित होता है तो लक्षण उभरने से पूर्व ही वह अन्य व्यक्तियों में संक्रमण फैलाने लगता है। जब तक बीमारी का पता चलता है तब तक वह कई लोगों को संक्रमित कर चुका होता है और इसी तरह यह चेन बढ़ती जाती है। संक्रमण की इस चेन को तोड़ने के लिए कुछ अहम बातें हमेशा ध्यान रखनी चाहिए –
घर से बाहर निकलने की स्थिति में अच्छी गुणवत्ता का फेस मास्क पहने तथा मास्क पहनते समय नाक एवं मुंह पूरी तरह ढके हो।
कम से कम 6 फीट की दूरी का पालन हर स्थिति में करें।
यदि आपको लगता है कि किसी ऐसी वस्तु को छुआ है जिस में संक्रमण हो सकता है तो तुरंत हाथ सैनिटाइज करें या हाथ साबुन से अच्छी तरह धोएं।
अपने हाथों से बार-बार मास्क को न छुएं इससे संक्रमण आसानी से आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है।
परिवार के सदस्यों के अलावा किसी भी व्यक्ति को घर में प्रवेश ना करने दें और ना ही किसी के घर जाएं।
उक्त बातों का पालन करके आप बहुत हद तक संक्रमण से बच सकते हैं। इसके उपरांत भी यदि कोई व्यक्ति संक्रमित होता है और जैसे ही उसमें बुखार, जुकाम, बदन दर्द, सिर दर्द, डायरिया जैसा कोई भी लक्षण उभरता है तो उस व्यक्ति को तुरंत खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए तथा कोविड-19 का इलाज चिकित्सक की निगरानी में शुरू कर देना चाहिए।
कोविड के संक्रमण से बच्चों को कैसे बचाएं और संक्रमण होने पर क्या करें? इस विषय पर जानकारी प्रदान करने हेतु डॉ अतुल रस्तोगी जी से आग्रह किया गया।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अतुल रस्तोगी ने कहा कि पिछले वर्ष जब कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई थी, तब बच्चों पर इसका प्रभाव बहुत कम देखा गया था। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने बच्चों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है। सामान्यता बच्चे घरों से नहीं निकल रहे हैं, यह संक्रमण बच्चों में घर के बड़े सदस्यों के माध्यम से ही पहुंच रहा है। मेरा सभी लोगों से आग्रह है कि बच्चों का घर पर विशेष ध्यान रखें। घर का जो भी सदस्य बाहर निकलता है वह घर में प्रवेश के पूर्व अपने हाथ पैरों को अच्छी तरह से सैनिटाइज करें या साबुन से धोएं। संभव हो तो बच्चों को स्वयं से दूर रखें। अगर आपको लगता है कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं तो खुद को आइसोलेट करें। बच्चों में कोरोना के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अपने नजदीकी बाल रोग विशेषज्ञ संपर्क करें।
इसके उपरांत सहभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर विशेषज्ञों द्वारा दिया गया। पूछे गए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर निम्नवत हैं –
प्रश्न – यदि माता-पिता दोनों संक्रमित हैं तो बच्चे की देख रेख कैसे करें जिससे उसे संक्रमण से बचाया जा सके।
उत्तर – बेहतर होगा कि बच्चे को कुछ दिन के लिए अपने किसी स्वजन के पास भेज दें जो उसकी देखरेख कर सके। अगर यह संभव नहीं है तो बच्चे को अलग कमरे में रखें तथा कोशिश करें कि संक्रमित माता पिता और बच्चा घर में मास्क पहने रहे। यदि बच्चा बहुत छोटा है तो कमरे में भी बच्चे से दूरी बनाकर रखें तथा संक्रमित व्यक्ति हमेशा मास्क पहने रहे। बच्चे को छूने से पूर्व हाथ अच्छी तरह सैनिटाइज करें।
प्रश्न – संक्रमित व्यक्ति घर में आइसोलेट है और कोरोना से संबंधित दवाइयां ले रहा है, यदि उसको घबराहट होती है तो क्या करना चाहिए?
उत्तर – संक्रमित व्यक्ति का ऑक्सीजन स्तर मॉनिटर करना आवश्यक है। बाजार में ऑक्सीमीटर आसानी से उपलब्ध है। शरीर में ऑक्सीजन स्तर 100% से 94% के बीच है तो यह घबराहट डर और भय के कारण है। डरें नहीं खुद को सकारात्मक रखें। कुछ दिन के लिए सोशल मीडिया एवं न्यूज़ चैनल देखना बंद कर दें। यदि ऑक्सीजन स्तर 90% या उसके नीचे पहुंच जाएं तो बिना देर किए अस्पताल ले जाने की आवश्यकता होती है।
प्रश्न – कोविड के संक्रमण में कौन सी दवाई ले सकते हैं। उत्तर – एंटीबायोटिक दवाइयां चिकित्सकीय परामर्श के उपरांत ही लेनी चाहिए। अतः अपने फैमिली डॉक्टर या ऑनलाइन माध्यम से डॉक्टरी परामर्श के उपरांत भी दवा लें। बुखार आने पर पेरासिटामोल की गोली ली जा सकती है।
प्रश्न – होम आइसोलेशन बेहतर है या अस्पताल जाना।
उत्तर – देश में प्रतिदिन जितने कोविड-19 पॉजिटिव मरीज निकल रहे हैं उस हिसाब से सबके लिए अस्पताल में जगह उपलब्ध करवा पाना किसी के लिए संभव नहीं है। 90% से अधिक मरीजों में बहुत हल्के लक्षण होते हैं, जिनका निदान होम आइसोलेशन में ही चिकित्सकीय परामर्श से किया जा सकता है। 5% से भी कम कर मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता पड़ती है। होम आइसोलेशन अस्पताल जाने से बेहतर विकल्प है, अस्पताल तभी जाना चाहिए जब ऑक्सीजन का स्तर 90% के नीचे पहुंच जाए।
इस कार्यक्रम में 100 से अधिक सहभागियों ने जुड़ कर लाभ प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में सभी के स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ विशेषज्ञों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
साभार – पंकज मिश्रा