जल निर्जीव है
पर निर्जीव जल में ही
सभी जीवों के जीवन
का पूर्ण सत्य निहित है
जल के बिना जीवन संभव ही नहीं
यह निर्जीव जल
हमारे जीवन का रक्षक है
पर हम
सभी जीवों के भक्षक बन बैठे हैं
हमने जल की महानता और महत्ता को बेमानी कर
अमृत जल को
जहर और
जंग का कारण बना डाला
जल जंग न बन जाये
कुछ करना यारों
सुबह उठते ही
जल चाहिए,
रात्रि की मधुर निद्रा के लिए भी
जल चाहिए
मधुर स्वप्न पर करवट बदलते भी
जल चाहिए
दिनचर्या की हर क्रिया में भी
जल चाहिए
जीते-मरते यहाँ तक कि
दाह क्रिया में भी
जल चाहिए
आत्मा तृप्त रहे, इसलिए
आत्मा की स्थापना तक भी
जल चाहिए
मानव के पुनर्जीवन की सुखद यात्रा
की मंगलकामना में भी
जल चाहिए
ठाकुर जी को भोग लगाने में भी
जल चाहिए
पूजा पाठ की हर क्रिया में भी
जल चाहिए
अत: जल जीवन ही नहीं,
जल तो पावन भी है..
हम आज हैं पर कल नहीं होंगे
ये प्राकृतिक सत्य है
पर हर जीवांश के बच्चे
कल जरूर होंगे …
यह भी निर्विवाद सत्य है
उन्हें भी
जल चाहिए
जो जल आज है
कल होगा या नहीं,
नहीं कह सकते
पर
कल को भी जल चाहिए
जल को पुनर्जीवित
किया जा सकता है !
यह ध्रुव सत्य है
यह निर्जीव जल
निर्जीव होते हुए भी
पुनर्जीवन को
प्राप्त कर सकता है
यह एक वैज्ञानिक सत्य है
भगवान ने ये शक्ति
केवल और केवल इसे ही
प्रदान किया है !
केवल जल ही अपना अस्तित्व
पुन: प्राप्त कर सकता है !
इसलिए जल तो अजर है अमर है..
जल को गटर या नाली में मत डालिये
वह निर्जीव है बता नहीं सकता
पर वह अजर है अमर है.
हम जल को बना तो नहीं सकते
पर इसको, इसके मूल रूप में
इसके मूल गुणों के साथ
पुनर्जीवित कर सकते हैं
और यह पुन:
जीवनदायनी बन सकता है
प्रकृति की प्राकृतिक विधा
“जल चक्र”
की भांति हम भी
वैज्ञानिक तरीके से पुनर्चक्रण कर
इसे पुनर्जीवित कर सकते हैं
हमें इसे करना चाहिए
क्योंकि जल ही तो
हमारा कल है
“अमन-चैन है हमारा जीवन है..
जल के महत्व को समझें
उपयोग किए गए जल को
पुनः उपयोग में लाने के लिए
उसका पुनर्चक्रण कर पुनर्जीवित करें
यह किया जा सकता है !
हमें इसे करना होगा
क्योंकि
जल तो अजर है अमर है..
निर्जीव जल मानो ये कह रहा
ऐ ब्रह्माण्ड के विवेकी जीव
तू ही तो इस धरा का सबसे ज्ञानी जीव है
फिर तू यह क्या कर रहा है
मैंने तुम्हें जीवन दिया और तुमने
मुझे गटर-नाली दिया…
अरुणेंद्र कुमार श्रीवास्तव
पर्यावरणविद