आत्म रक्षा का मनोविज्ञान

मैं सक्षम हूं  , मैं योग्य हूं  ,मैं अवश्य सफल हूंगा ,  मैं जीतूंगा । मेरे असफल होने से मेरे परिवार , समाज व ईष्ट मित्रों का भी सम्मान घटेगा। इस प्रकार के भाव हमे निरन्तर आत्म शक्तिसंपन्न करते है। *जो होता है होने दो, यह पौरुष हीन कथन है**जो हम चाहेंगे वह होगा, इसमे ही जीवन है*  ??*संकल्प*~~~~~  ● आत्म रक्षा  >  आत्म गौरव ●  ● राष्ट्र रक्षा    >  राष्ट्र गौरव    ● *आत्म रक्षा के आवश्यक तत्व*~~~~~~~~~~~~~~~~~आत्मावलोकन ।आत्म चितंन ।आत्म विश्वास । *आत्मावलोकन* —  स्वयं की पहचान करना,  स्वयं का मूल्यांकन करना,  लक्ष्य निर्धारित करना,  बाधक तत्वो [ कमियो Read More