ई-भंडारा परंपरागत रूप से लगाए जाने वाले भण्डारो का संवर्धित स्वरुप है। इसके माध्यम से कम श्रम, शक्ति, संसाधन लगाकर अत्यधिक पर्यावरण केंद्रित, सामाजिक सरोकार से युक्त, प्रभावी भंडारे का आयोजन किया जा सकता है।
लखनऊ की श्रेष्ठ परम्पराओ में से एक पावन परंपरा है- ग्रीष्म काल अर्थात ज्येष्ठ के महीने में पड़ने वाले मंगल को लगने वाले भंडारे। जिसमे मानव ही क्या पशु पक्षी सभी की आत्मा को तृप्त करने का सामर्थ्य है। लखनऊ वासी इस अवसर पर भंडारा आयोजित करके प्राणी मात्र की सेवा का अवसर पाते है और भगवन हनूमान की कृपा के पात्र बनते है।
वर्तमान कोरोना काल में शासन-प्रशासन, आयोजकों-भक्तो एवं वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान रखते हुए ई-भंडारा अर्थात (Easy, Economic, Environmental friendly, Electronically empowered, Effective Bhandara ) का विकल्प सर्वोत्तम विकल्प है। इसके माध्यम से एक ओर जहां आयजकों द्वारा भण्डारे के आयोजन का संकल्प पूर्ण होगा वही दूसरी ओर प्रसाद का वितरण उचित एवं प्रभावी तरीके से सीधे उन लोगों तक होगा जिन्हे उसकी सर्वाधिक आवश्यकता है।
Easy– आयोजकों को लॉकडाउन के कारण बाहर निकलने की आवश्यकता नहीं होगी। इसमें आपके समय या संसाधनों की कमी आड़े नहीं आएगी। इसके माध्यम से आप इच्छित क्षेत्र में एवं संकल्पित संख्या (१०, २०, ५०, १००, १००० आदि ) तक प्रसाद का वितरण करा सकते है।
Economic– आयोजन में होने वाले तमाम खर्चे यथा तम्बू-शामियाना, मेज,कुर्सी, चादर, बैनर, डस्टबिन, सफाई, बर्तन, कारीगर, लाउडस्पीकर इत्यादि पर व्यय नहीं करना होगा।
Environmental friendly– आयोजन स्थल पर होने वाली गन्दगी, बिखरे दोने-पत्तल का नामो-निशान नहीं होगा। पर्यावरण को अप्रिय थर्माकोल एवं प्लास्टिक के गिलास, बैनर का उपयोग नहीं होगा। लाउडस्पीकर का उपयोग ना होने से ध्वनि प्रदुषण में भी कमी आएगी।
Electronically empowered– भंडारा आयोजन की पूरी प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक इक्विप्मेंट्स के द्वारा पूर्ण पारदर्शी एवं ऑनलाइन होती है। आयोजक प्रसाद बनने, भगवान को भोग लगाने एवं वितरण तक की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन देख सकते है। अपने घर पर रहते हुए ही पूजा-अर्चना में भाग ले सकते है और आवश्यकता पर स्वयंसेवको को आवश्यक दिशा-निर्देश दे सकते है।
Effective– अन्न एवं जल की बर्बादी रुकेगी एवं प्रसाद सीधे उन आत्माओ तक पहुंचेगा जिनको इसकी सर्वाधिक आवश्यकता है।
इस प्रकार ई-भंडारा के माध्यम से लॉकडाउन एवं सोशल डिस्टैन्सिंग के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए भी भगवन सेवा का व्रत पूर्ण होगा और वह भी ज्यादा प्रभावी तरीके से।