आप भयंकर मुसीबत से घिरे हैं? क्या परेशानियों से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा? अगर ऐसा है तो बजरंगबली का बजरंगबाण आपकी सहायता कर सकता है। कहा जाता है कि जहां बजरंगबाण का पाठ किया जाता है,वहां हनुमान जी स्वयं आ जाते हैं।
क्यों है बजरंग बाण अचूक?
पवनपुत्र श्रीराम के भक्त हैं| आप श्रीराम का नाम लें और हनुमान जी आपकी मदद के लिए न आएं ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि बजरंग बाण में हनुमान जी के आराध्य श्रीराम की सौगंध दिलाई गई है। इसलिए जब आप श्रीराम के नाम की सौगंध उठाएंगे तो फिर हनुमान जी आपकी रक्षा करने ज़रुर आएंगे| बजरंग बाण में श्रीराम की सौगंध इन पंक्तियों में दिलाई गई है-
-भूत प्रेत पिशाच निसाचर।अगिन बेताल काल मारी मर
-इन्हें मारु,तोहिं सपथ राम की।राखु नाथ मर्याद नाम की।
-जनक सुता हरि दास कहावौ।ताकी सपथ विलम्ब न लावौ।
-उठु उठु चलु तोहिं राम दोहाई।पाँय परौं कर जोरि मनाई
कैसे पढ़ें बजरंगबाण?
-पहले गुरु और गणेश का ध्यान करें
-श्रीसीता राम का ध्यान करना करें
-हनुमान जी का ध्यान कर उनसे मनोकामना कहें
-बजरंगबाण के पाठ का संकल्प करें
-भगवान श्रीराम का कीर्तन करें फिर हनुमान चालिसा पढ़ें
कब पढ़ें बजरंगबाण?
-नौकरी में भयंकर मुश्किल हो….
-नौकरी छूट गई हो या छूटने वाली हो
-तंत्र मंत्र से किसी ने बाधा पहुंचाई हो
-संकट में कभी भी पढ़ सकते हैं बजरंगबाण
-ब्रह्ममुहूर्त और रात में सोने से पहले पाठ करने
का बहुत फल मिलता है
-संकट से तुरंत मुक्ति दिलाता है बजरंगबाण
किसने लिखा बजरंगबाण?
-गोस्वामी तुलसीदास की रचना
-काशी में किसी तांत्रिक ने किया
तुलसी दास पर मारण मंत्र का प्रयोग
-तुलसीदास जी के शरीर पर फोड़े निकले
-तुलसीदास जी ने लगाई हनुमान जी से गुहार
-बजरंग बाण लिखकर पीड़ा से मुक्ति के लिए की प्रार्थना
-बजरंग बाण के पाठ से एक दिन में सारे फोड़े ठीक
-तभी से बजरंग बाण का निशाना है अचूक
कब नहीं पढ़ना है बजरंग बाण?
-दूसरों को नीचा दिखाने के लिए
-अनैतिक कार्यसिद्धि या विवाद में विजय के लिए
-सामान्य कष्ट या बाधा से घबराने पर
-बिना पूरा प्रयास किए किसी कार्य की सिद्धि के लिए
-अनावश्यक धन,ऐश्वर्य,पद,भौतिक और इच्छा पूरी करने के लिए
-किसी का मालिकाना हक छीनने के लिए
हनुमान जी की साधना की इस कड़ी में बजरंग बाण का जप और पाठ हनुमान जयंती, शनिवार व मंगलवार के दिन करने का महत्व है। इस दिन यथाशक्ति श्री हनुमान की प्रसन्नता के लिए व्रत भी रख सकते हैं।
सुबह स्नान कर पवित्रता के साथ भगवा या सिंदूरी वस्त्र पहनें। तब मंदिर या घर के ही देवालय में बजरंग बाण का जप किया जा सकता है। इसके लिए तन के साथ मन की पवित्रता और शांत स्थान का जरूर ध्यान रखें।
श्री हनुमान की मूर्ति या तस्वीर के सामने कुश के आसन पर बैठें। बजरंग बाण के जप प्रयोग की शुरुआत पवित्रीकरण और संकल्प के साथ करें। संकल्प में मात्र बजरंग बाण के जप का ही न हो, बल्कि इसके साथ यह भी संकल्प करें कि मनोरथ पूर्ति और कष्ट शमन होने पर श्री हनुमान की तन, मन, धन से यथाशक्ति सेवा करेंगे।
शास्त्रों में हनुमान साधना में दीपदान का बहुत महत्व बताया गया है। अत: पंचधानों यानि गेंहू, चावल, मूंग, उड़द और काले तिल के मिश्रित आटे में गंगाजल मिलाकर एक दीपक बनाएं।
इस दीपक में सुगंधित तेल भरें और उसमें एक कच्चे सूत की मोटी बत्ती जो सिंदूरी रंग में रंगी हो, को जलाएं। बजरंग बाण के पाठ और अनुष्ठान पूर्ण होने तक यह दीपक प्रज्जवलित रखें।
श्री हनुमान जी को गुग्गल की धूप में लगाएं।
इसके बाद श्री राम और श्री हनुमान का ध्यान कर श्री हनुमान की मूर्ति पर ध्यान लगाकर स्थिर मन से बजरंग बाण का जाप शुरू करें। जाप करते समय अशुद्ध उच्चारण से बचें।
पूरे बजरंग बाण का पाठ की एक माला जप करें। एक माला संभव न होने पर 11, 21, 31 इसी तरह की संख्या में जप भी कर सकते हैं।जप पूरे होने पर गुग्गल धूप, दीप, नैवेद्य अर्पण करें। नैवेद्य में विशेष रुप से गुड़, चने या गुड़ और आटे का मीठा चूरमा, लाल अनार या मौसमी फलों का भोग लगाएं।
इस तरह बजरंग बाण का ऐसा पाठ तन, मन और धन से जुड़े सभी कलह और संताप दूर करता है।
?जय श्रीराम ?
?जय श्री हनुमान ?
साभार- हर्ष जी