बड़ा मंगल वह दिन है जब भगवान हनुमान की पूजा की जाती है। यह लखनऊ के लिए एक अनोखा त्यौहार है, और हनुमान भक्त इस अवसर पर बजरंगबली  की पूजा-अर्चना करते हैं। यह त्यौहार लखनऊ की श्रेष्ठ परंपरा है। जेठ माह के प्रत्येक मंगलवार को भक्त जन इस त्यौहार को बड़े ही धूम धाम उत्साह एवं जोश से मानते है।

लखनऊ में सभी हनुमान मंदिरों में बड़ा मंगल मनाते हैं। लेकिन अलीगंज में हनुमान मंदिर, जहां यह अनुष्ठान शुरू हुआ था, भक्तों के लिए केंद्र बिंदु है। जेठ के महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है ओर भक्त जन गर्मी की परवाह ना करते हुए लंबी कतारों में लग कर अपने आराध्य का दर्शन करते है । भक्त जन शहर में जगह जगह भंडारे, लंगर, प्याऊ स्थापित करते है जहाँ से वे सभी को प्रसाद और पानी वितरित करते हैं। आज कल प्रसाद में चोल-चावल, हलवा-पुरी, कचौरी-आलू, जलेबी-खस्ता, कढ़ी-चावल और रस आदि का वितरण किया जा रहा है।

धीरे धीरे इस परंपरा का विस्तार लखनऊ शहर से आगे निकलते हुए अब  ग्रामीण क्षेत्रों में भी हो रहा है.  आस पास के जिले यथा उन्नाव, कानपुर, सीतापुर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, राय बरेली, प्रयाग इत्यादि में भी भक्तजन इसमें सम्मिलित हो रहे है. भक्तों को ऐसा लगता है कि भूखे को भोजन और प्यासे को पानी पिलाने से बढ़कर कोई धर्म नहीं है अतः यह परंपरा प्राणी मात्र की सेवा का सर्वोत्तम साधन है. यही कारण है कि सभी मत-पंथ-सम्प्रदाय, जाति-बिरादरी, स्त्री-पुरुष इसमें बढ़ चढ़ कर भाग ले रहे है. युवा वर्ग भी इस परंपरा से जुड़कर अपनी ऊर्जा को  बजरंगबली की ऊर्जा से जुड़ा महसुस करता है. जिस प्रकार से बड़े मंगल का कार्यक्रम लोकप्रियता को प्राप्त हो रहा है उससे ऐसा लग रहा है कि शीघ्र ही इसका विस्तार प्रदेश एवं देश के अन्य भागों में भी हो जायेगा।

लखनऊ का बड़ा मंगल एक अद्वितीय पर्व है और इसके कई विशेष पहलू इसे दुनियाभर में अनूठा बनाते हैं:

  1. विशिष्टता और नियमितता: बड़ा मंगल का पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है। यह केवल लखनऊ में ही इतने बड़े पैमाने पर और नियमित रूप से आयोजित होता है।
  2. सार्वजनिक भागीदारी: यह पर्व लखनऊवासियों द्वारा अपने उत्साह और उत्सवप्रियता के लिए प्रसिद्ध है। हर जाति, धर्म और वर्ग के लोग इसमें भाग लेते हैं, जिससे यह सामाजिक समरसता और एकता का प्रतीक बनता है।
  3. भंडारे और सेवा: बड़ा मंगल के दिन शहर भर में अनेक स्थानों पर भंडारे (मुफ्त भोजन वितरण) का आयोजन किया जाता है। स्थानीय लोग और संस्थाएं मिलकर इन भंडारों का आयोजन करते हैं, जिससे सेवा और परोपकार की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।
  4. धार्मिक और सांस्कृतिक संगम: यह पर्व भगवान हनुमान को समर्पित होते हुए भी विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों को एक मंच पर लाता है। यह लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक है, जहां हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं।
  5. लखनऊ की विशिष्ट पहचान: बड़ा मंगल सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह लखनऊ की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का हिस्सा है। यह पर्व शहर की समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखता है।

तुलना और अद्वितीयता

दुनिया में कई धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव मनाए जाते हैं, लेकिन लखनऊ के बड़ा मंगल जैसी विशेषता और व्यापकता कहीं और देखने को नहीं मिलती। कुछ विशेष बातें हैं:

  1. स्थानीय समर्पण और भागीदारी: अन्य स्थानों पर भी हनुमान जी के मंदिरों में मंगलवार को पूजा होती है, लेकिन लखनऊ में ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को जो व्यापक पैमाने पर भंडारे और सार्वजनिक आयोजनों की परंपरा है, वह अद्वितीय है।
  2. सामाजिक और धार्मिक समरसता: यह पर्व विशेष रूप से लखनऊ में ही समाज के हर वर्ग और धर्म के लोगों को एक साथ लाने की क्षमता रखता है। अन्य धार्मिक आयोजनों में आमतौर पर संबंधित धर्म के अनुयायी ही भाग लेते हैं, लेकिन बड़ा मंगल में हर धर्म और समुदाय के लोग भाग लेते हैं।
  3. भव्यता और नियमितता: लखनऊ में बड़ा मंगल की भव्यता और इसकी हर साल नियमितता से मनाया जाना इसे विशेष बनाता है। कहीं और इतने नियमित और बड़े पैमाने पर ऐसा आयोजन नहीं होता।

लखनऊ का बड़ा मंगल इसलिए अद्वितीय है क्योंकि यह धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर ऐसी मिसाल पेश करता है जो कहीं और देखने को नहीं मिलती। इस पर्व की भव्यता, सेवा की भावना और समरसता इसे वास्तव में खास और अनोखा बनाती है।