मंगलमान अभियान की बैठक आज राजाजीपुरम क्षेत्र में आयोजित हुई है। समाज के विभिन्न वर्गों के विभिन्न सामाजिक संगठनों के और विशेष रूप से मंगलमान अभियान के सहयोगी इस बैठक में शामिल है। हम लोग महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन इस समय सबसे बड़ा जो चर्चा का विषय है वह इस त्यौहार में हम अपने आराध्य अपने देश अपने अपने इष्ट की मूर्तियों को अनादर होने से बचाएं और उन मूर्तियों को यथोचित स्थान पर विसर्जित करें। लखनऊ की बैठक है मंगल मान अभियान की। लेकिन लखनऊ से प्रारंभ होकर पूरे देश और हर सनातनी तक यह विषय पहुंचे इसके लिए यह बैठक है। यहां पर राजाजीपुरम क्षेत्र में आयोजित की जा रही है और सभी के विचार आ रहे हैं। क्या इसका उद्देश्य है इसके बारे में विस्तृत जानकारी अभी आपको मिलेगी।
इस विषय को आगे बढ़ाया जाए ताकि यह विषय भारत के हर नागरिक तक हर सनातनी व्यक्ति तक पहुँचे। हमें अब अपने ईष्ट की अपने आराध्य की मूर्ति का अनादर नहीं होने दिन है। और दूसरा विषय जो बार बार हम लोग कह रहे विसर्जन की वह महत्वपूर्ण है। हम मिट्टी की मूर्ति अपने घर में भी लाएँगे, अपने अपनी फैक्ट्री में भी लाएंगे, तो विसर्जन की समस्या स्वतः समाप्त हो जाएगी क्योकि कच्ची मिटटी की मूर्तियों का विसर्जन घर में ही किया जा सकता है। ऐसी मूर्ति घर के गमले में टब में बाल्टी में विसर्जित होगी। इस मिटटी का उपयोग गमले में भी हो सकता है तो यह होगा विसर्जन से सृजन। ये विषय भी पिछली बैठक में हम लोगों ने लिया था। यह भी बड़ा विषय है हमें कहीं नहीं जाने की जरूरत पड़ेगी। लेकिन अभी पड़ेगी, क्योंकि अभी जागरूकता इतनी नहीं। अभी लोगों को सबको जागरूक करना है कि भैया अपनी मूर्ति का आदर करना है। तो मेरा सबसे निवेदन होगा कि सोशल मीडिया के माध्यम से आज से अभी से यह जो बैठक आपकी हो रही है, इसकी चर्चा करें। इसके बारे में बताएं कि हम लोगों की राजाजीपुरम में बैठक हुई। हम लोगों ने यह तय किया है केंद्र जो आप बनाने जा रहे हैं, उनका पता, उनका नाम अभी आपको समूह से जोड़ देंगे। वह आपस में दे दीजिएगा। आपके केंद्र तक मूर्तियां एकत्रित करने की जिम्मेदारी आपकी। केंद्र से मूर्तियां ले करके और नगर निगम के द्वारा जो विसर्जन स्थान बनाया जायेगा वहां तक पहुंचाने की जिम्मेदारी इस अभियान के मुख्य कार्यकर्ताओ की।
एक व्यवस्था के तहत हम लोग इस कार्य को आगे बढ़ाते हैं। आज पहली बैठक राजाजीपुरम में हुई है। आवश्यकता पड़ी तो हम लोग एक बैठक कहीं और कर सकते हैं। संजय जी बहुत कुछ कर सकते हैं राजू भैया कर सकते है तिवारी जी कर सकते है। बैठक के माध्यम से हम लोग के जितने केंद्र राजाजीपुरम परिक्षेत्र में बने उनकी हम लोग पूरी सूची जारी कर सकते हैं, व्हाट्सएप पर जारी कर सकते हैं।
इस अभियान में मैं एक बार फिर से आप सबका स्वागत करता हूं और यह कहना चाहता हूं कि हमारा जो भी पड़ोसी है, एक निवेदन कर दिया जाये उससे आग्रह कर दिया कि आपके यहां से जो भी मूर्ति निकलेगी, अगर आप को कोई समस्या हो या आपको लगता हो कि समस्या है, आप मूर्ति कहां प्रवाहित करें? क्योंकि अब तो अनुमति है नहीं कि आप किसी भी नदी में मूर्ति जाकर प्रवाहित कर दें तो आप निश्चित रूप से किसी मंदिर को ढूंढेगे, आप किसी पेड़ को ढूंढेगे, आप सड़क के किनारे रख देंग।
जो पूजा करते हैं। उनको लगता है यह तो हमारा अपमान हो रहा, हमारी मूर्तियों का भी अपमान हो रहा है और हमारा उपहास उड़ाया जा। अखबार भी उड़ाता है उपहास। वही अभी जो दैनिक जागरण की बात आदरणीय तिवारी जी ने कही। दैनिक जागरण में ही फोटो छपी यह कैसी पूजा, यह यह कैसा विसर्जन है और उसमें कितने खराब तरीके से उसको दिखाया जाता है तो इसकी चिंता हम सबको करनी पड़ेगी।
हमे लोगो को जागरूक करना है और यही आग्रह करना है कि अपनी मूर्तियों को मंगलमान केन्द्रो तक पहुचायें वहां से ले जाकर विसर्जन की जिम्मेदारी हमारी है।
आज की बैठक में मैं बार बार आप सबका बहुत स्वागत करता हूं और इतने सब बड़े लोग यहां आ गए मेरे लिए तो बड़े गर्व की बात है।