सनातन परंपरा के अनुसार विसर्जित करे पुरानी मूर्तियाँ -डॉ धनंजय गुप्ता

जिसको न निज गौरव तथा निज देश ( धर्म ~ संस्कृत) अभिमान है वह नर नहीं नर पशु निरा और मृतक समान है ???

प्रत्येक भारतीय को प्रत्येक क्षण इन पंक्तियों को स्मरण करते रहना चाहिए।
हम अपने आस्था के प्रत्येक मान बिन्दुओं का पूर्ण विश्वास व गौरव के पालन कर रहे है।

उसी सम्मान व आस्था के साथ हम अपने आस्था के प्रतीक देवी देवताओ की प्रतिमाओं का विभिन्न पर्व त्योहार में अपने घरो में लाते है,

बहुमूल्य पूजन सामग्री से पूजित कर प्राण प्रतीष्ठा करते है

सनातन परंपरा के अनुसार विधि-विधान से विसर्जित करने का विधान पूर्वक विसर्जित करने निर्देशों का अधिकांश जन मानस निर्वहन करता आ रहा है।

आधुनिक समय की भागमभाग मे कही हम जिन शक्तियों के आशीर्वाद से एक एक स्वास लेते हैं, उनका सम्मान विसर्जन नही हो पा रहा, बढ़ते विकास व जनसंख्या असंतुलन व अतिक्रमण के परिणामस्वरूप विसर्जन एक समस्या के रूप मे सामने है

मंगलमान अभियान सभी के मंगलमय जीवन की मंगल कामना हेतु पूर्ण आस्था के साथ विसर्जन हेतु सार्थक प्रयत्न से सार्थक परिणाम सामने आने लगे है

अनेक संगठन व स्वयंसेवक और महान विभूतियों ने अपने अपने स्तर पर बहुमूल्य योगदान व जनजागरण अभियान प्रारंभ किया है। ईश्वर की असीम अनुकम्पा से ~ जनमानस के सुप्त मन तक ईश्वरीय संदेश पहुंच रहे हैं

?? अपने परंपरागत शिल्पकारों ने धरती मां की पावन कच्ची मिट्टी व गाय के पूज्य गोबर से ऐसी प्रतिमा का निर्माण बड़े पैमाने पर प्रारंभ कर दिया है जो विसर्जन के उपरांत पुनः भारत माता की गोद में विलीन होकर चहुंओर हरियाली बिखरने का काम करेगी। दूसरी ओर विषैले जानलेवा प्रदूषण को कम करने का काम आसान होगा।

हमारी छोटी सी इच्छा-शक्ति से करोड़ो भारतीय शिल्पकारों को भी पर्व त्योहार उल्लास पूर्वक मनाने के लिए आपका सहयोग तो प्राप्त ही होगा हमारे परिवारों को प्रदूषण जनित अनेक बीमारियों से राहत भी प्राप्त होगी

?? विशेष आग्रह ??

हमे दुकानदारों से गाय के गोबर व कच्ची मिट्टी की प्रतिमाएं व अन्य सभी वस्तुए की मांग को रखना ही रखना है, हो सकता है समाप्त हो गई हो तो आगे से बाजारे इकोफ्रेडंली प्रतिमाएं से ही गुलजार दिखेंगी

?? अत्यंत विशेष आग्रह ??

प्रतिमाओं सहित सभी सहायक सामग्री अपने देश के शिल्पकारो से निर्मित ही क्रय करे ।

? भूलो न ऋषि संतान हो,अब भी तुम्हे यदि ध्यान हो ?
? तो विश्व को फिर भी तुम्हारी शक्ति का कुछ भान हो ?

                   डा•धनंजय 
              मंगलमान अभियान
                 8604783076

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