मूर्तिमान से होगी आस्था एवं पर्यावरण की रक्षा और गौ संवर्धन, स्वदेशी, स्वावलंवन को मिलेगा बल

सड़कों, डिवाइडरों और पेड़ों के नीचे फेंकी मूर्तियों को मान दिलाने और पर्यावरण की रक्षा के लिए एक वृहद अभियान का शुभारंभ किया गया।

विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने मंगलमान अभियान के तहत खण्डित/पुरानी मूर्तियों के ससम्मान विसर्जन को लेकर बैठक की। कृष्णानगर के वास्तु शुभम में हुई बैठक में तय किया गया कि ना चाहते हुए भी लोग खंडित मूर्तियों, देवी – देवताओं के चित्रों को फेंक देते हैं। इससे आस्था का परिहास तो होता ही है पर्यावरण को भी नुकसान होता है।
गणेश महोत्सव, दीपावली में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों के साथ अब चीन में हानिकारक पदार्थों से बनीं मूर्तियों का चलन बढ़ गया है। इससे हमारे कलाकारों, मूर्तिकारों, दुकानदारों और देश को आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है।
इस सबको देखते हुए तय निर्णय हुआ कि पूरे शहर में ऐसे विशिष्ट मदिरों का चयन किया जाएगा। इन स्थानों का प्रचार कर लोगों से इन्हीं चयनित स्थानों पर मूर्ति इत्यादि रखने की अपील की जाएगी। इसके लिए बकायदे कई प्रचार वाहनों को भी लगाया जाएगा। प्रत्येक स्थान के प्रभारी तय होंगे। पोर्टल और सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों तक समस्त जानकारी पहुंचाई जाएगी।
तत्पश्चात अभियान के सुसज्जित वाहनों से भक्तिमय वातावरण में इन्हें विसर्जित और भू अर्पित किया जाएगा।
इस दिशा में पहले से ही योगदान दे रहे व्यक्तियों एवं संस्थाओं के मध्य समन्यवय स्थापित कर अधिक से अधिक लोगो तक मंगलमान सन्देश को पहुचाया जायेगा।
इस अभियान का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण भाग है कि लोगों को न केवल गाय के गोबर, मिट्टी, धातु और टिश्यू पेपर से बनी मूर्तियों के प्रयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा।
बल्कि विभिन्न स्थानों पर और पोर्टल के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल मूर्तियां भी बेहद कम दामों में उपलब्ध कराई जाएंगी।
बैठक में रूपरेखा बनने के साथ जिम्मेदारियां तय की गईं।

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