लखनऊ: 15 अगस्त :स्वतंत्रता दिवस के 75 वें वर्ष के पुनीत अवसर पर समाधान-पर्यावरण,लखनऊ द्वारा, सात दिनों तक चलने वाली “प्रकृति संरक्षण प्रदर्शनी” के zoom webinar कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. दयानन्द लाल, सेवा निवृत्त IAS, द्वारा दीप प्रज्वलन एवं भारत माता को पुष्पांजलि करके, आज अपरान्ह 12 बजे MIIC 93 जानकीपुरम, लखनऊ स्थित हाल में किया गया ! कोरोना से सुरक्षा और उसके निमित्त सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शनी का उद्घाटन Zoom webinar पर आयोजित करने का निर्णय लिया गया था !
उद्घाटन के पश्चात श्री अरुणेन्द्र कुमार श्रीवास्तव द्वारा संकलित “प्रकृति संरक्षण” नामक पुस्तिका का विमोचन भी श्री दया नन्द लाल, श्री सुशील कुमार मोदी, श्री यतीन्द्र कुमार गुप्ता द्वारा किया गया !
सम्मान समारोह:
75 वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर चयनित 5 सेवा निवृत्त सैनिकों तथा 7 पर्यावरण प्रेमियों को चादर ओढा कर, पौधे देकर “पर्यावरण प्रेमी सम्मान” का प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया !
समाधान पर्यावरण के सचिव श्री अरुणेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदर्शनी आम जनता के लिए 7 दिन (दिनांक 15 अगस्त को अपरान्ह 2 बजे से 6 बजे तक तथा दिनांक 16 अगस्त से 21 अगस्त तक सुबह 10 बजे से सायं 6 बजे तक)खुला रहेगा ! उक्त प्रदर्शनी गैलरी में पधारने वाले प्रकृति प्रेमियों से आग्रह है कि कोरोना के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए मास्क लगाकर ही प्रदर्शनी गैलरी में प्रवेश करें ! प्रदर्शनी का समापन 21 अगस्त,2021 को सायं 7 बजे गायत्री महायज्ञ हवन करके किया जाएगा !
संगठन के अध्यक्ष श्री यतीन्द्र कुमार गुप्ता ने संगठन परिचय के दौरान बताया कि समाधान-पर्यावरण, पर्यावरण की दिशा में कार्यरत समाधान-फाउंडेशन की एक ईकाई है जिसका गठन पर्यवारण संरक्षण हेतु वर्ष 2014 में किया गया था तब से यह संस्था प्रकृति के संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर जागरूकता का कार्यक्रम कर रही है ! श्री गुप्ता ने बताया कि आज का प्रकृति संरक्षण प्रदर्शनी भी उसी जागरूकता कार्यक्रम का हिस्सा है !
जल संरक्षण अधिकारी श्री आर एस.सिन्हा ने तेजी से घटते भू जल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक प्राणी का जीवन आधार जल ही है। शायद ही ऐसा कोई प्राणी हो जिसे जल की आवश्यकता न हो। जल हमें समुद्र, नदियों, तालाबों, झीलों, वर्षा एवं भूजल के माध्यम से प्राप्त होता है।
पानी का इस्तेमाल करते हुए हम पानी की बचत के बारे में जरा भी नहीं सोचते हैं। परिणामस्वरूप अधिकांश जगहों पर जल संकट की स्थिति पैदा हो चुकी है। यदि हम अपनी आदतों में थोड़ा-सा भी बदलाव कर लें तो पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है। बस आवश्यकता है दृढ़संकल्प करने की तथा उस पर गंभीरता से अमल करने की, क्योंकि जल है तो हमारा भविष्य है।
जल संरक्षण का अर्थ पानी बर्बादी तथा प्रदूषण को रोकने से है। जल संरक्षण एक अनिवार्य आवश्यकता है क्योंकि वर्षाजल हर समय उपलब्ध नहीं रहता अतः पानी की कमी को पूरा करने के लिये पानी का संरक्षण आवश्यक है।
यदि हमारे देश में वर्षाजल के रूप में प्राप्त पानी का पर्याप्त संग्रहण व संरक्षण किया जाए, तो यहाँ जल संकट को समाप्त किया जा सकता है। हमारे देश की अधिकांश नदियों में पानी की मात्रा कम हो गई,
ऐसे में सतही पानी का जहाँ ज्यादा भाग हो, उसे वहीं संरक्षित करना चाहिए क्योंकि अन्तरराष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान के अनुसार भारत में वर्ष 2050 तक अधिकांश नदियों में जलाभाव कीस्थिति उत्पन्न होने की पूरी सम्भावना है।
जल संग्रहण: एक सामूहिक उत्तरदायित्व
राष्ट्रीय विकास में जल की महत्ता को देखते हुए ‘जल संरक्षण’ को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हुए हमें निम्नलिखित आसान उपायों को करने के लिये जनजागरण अभियान चलाकर जल संरक्षण सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि जनसहभागिता से जल की बचत बड़े प्रभावी ढंग से की जा सकती है।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रदर्शनी के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए श्री दयानंद लाल ने कहा कि अब मात्र पर्यावरण संरक्षण की बातें बेमानी होगी अब तो पूरे प्रकृति के संरक्षण की चिंता करनी होगी ! उक्त प्रदर्शनी का उद्देश्य प्रकृति के 3 प्रमुख और ज्वलंत पहलुओं जैसे जल संरक्षण, कूड़ा प्रबंधन तथा पर्यावरण संरक्षण पर चर्चा करना तथा विशेषज्ञों और अनुभवियों द्वारा समाधान प्रस्तुत करना है ! प्रदर्शनी का आशय यह भी है कि सामाजिक हित में आमजन उक्त समाधान को आत्मसात कर, भविष्य में होने वाले जल संकट, पर्यावरण प्रदूषण जैसी भयंकर समस्याओ से स्वयं को सावधान रक्खे !
प्रदर्शनी में चित्रों द्वारा कूड़ा प्रबंधन, जल के संरक्षण, संचयन तथा रीसाइक्लिंग और पर्यावरण संरक्षण की सफलता से चल रही प्रक्रियाओं द्वारा इनके महत्व को समझाने का प्रयास किया गया है साथ ही उनसे सम्बन्धित “प्रकृति संरक्षण” नामक पुस्तिका भी उपलब्ध है !
पौध वितरण:
लगभग 25 प्रकार के औषधीय और घरेलू पौधों को भी प्रदर्शनी में शामिल किया गया है ! कलम, बीज तथा बल्ब द्वारा तैयार लगभग 500 पौधों को प्रदर्शनी अवधि में सातों दिन निःशुल्क वितरण की भी व्यवस्था है !
संकल्प-पंजीकरण एवं पौध वितरण
जैसा ऊपर बताया गया है लगभग 25 प्रकार के औषधीय और डोमेस्टिक-घरेलू पौधों को भी प्रदर्शनी में समाहित किया गया है ! जिनका वितरण भी 7 दिनों (दिनांक 15 अगस्त को अपरान्ह 2 बजे से 6 बजे तक तथा दिनांक 16 अगस्त से 21 अगस्त तक सुबह 10 बजे से सायं 6 बजे तक) किया जाएगा जिसके लिए “संकल्प-पत्र” भर कर रु.11/- का पंजीकरण कराना अनिवार्य है, पंजीकरण के पश्चात उपलब्ध पौधों में से कोई भी 5 पौधों के चयन कर लेने का सुअवसर प्राप्त होगा !
कोरोना लहर पर सरकार के दिशा निर्देशों का पालन तथा भीड़ भाड़ से बचने के लिए सभी पर्यावरण प्रेमियों से आग्रह है कि अपने आने की तिथि तथा समय के बारे में सूचित कर हमें दिशा निर्देशों का पालन करने में सहयोग करें !
शुभ कामनाओं सहित,
अरुणेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
सचिव