एक स्वस्थ जीवन शैली ही हमें आने वाली चुनौतियों से बचा सकती है। कोविड-19 जैसे अन्य वायरस, बैक्टीरिया, फंगस जनित बीमारियां भविष्य में देखने को मिलेंगी। अतः स्वस्थ जीवन शैली अपनाना आज समय की सबसे बड़ी मांग है। उक्त बातें प्रोफ़ेसर निर्मल गुप्ता हेड, कार्डियक सर्जरी विभाग, संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट लखनऊ एवं आरोग्य भारती के पीजीआई ब्रांच के अध्यक्ष ने मंगलमान द्वारा आयोजित “कोविड-19 हेल्पिंग हैंड- मंगल संवाद” कार्यक्रम की श्रृंखला में सातवीं कड़ी मैं अपने विचार साझा किया। प्रोफ़ेसर निर्मल गुप्ता हृदय रोग के संबंध में संवाद कर रहे थे। साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिये।
कार्यक्रम की शुरुआत मंगलमान अभियान के संयोजक डॉ रामकुमार ने प्रोफेसर गुप्ता एवं अन्य प्रतिभागियों के अभिनंदन से किया। डॉ रामकुमार ने कार्यक्रम की प्रस्तावना में बताया कि मंगलमान अभियान अधिक से अधिक लोगों तक सही एवं सटीक जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर रहा है जिससे कोविड-19 के खतरों का मुकाबला किया जा सके। इसी कड़ी में यह सातवां प्रयास है। यह सभी कार्यक्रम रिकॉर्डर फॉर्मेट में मंगलमान की वेबसाइट ( mangalman.in ) पर भी उपलब्ध हैं जिन्हें बाद में देखा जा सकता है साथ ही इस का लाइव प्रसारण विश्व संवाद केंद्र अवध के फेसबुक पेज पर भी किया जाता है जिससे अधिक से अधिक लोगों तक यह जानकारी पहुंचाई जा सके।
प्रोफेशन निर्मल गुप्ता ने कोविड-19 के प्रति लोगों को सूचित करते हुए कहा कि कोविड-19 एक वायरस है जिस की संरचना अपूर्ण होती है यह जैसे ही शरीर में प्रवेश करता है शरीर के आने से मिलकर अपनी संरचना पूर्ण करने की कोशिश करता है और अपने आप को मल्टीप्लाई करता है शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को जैसे ही इस बारे में पता चलता है वह टेंपरेचर बढ़ा देती है और व्यक्ति को बुखार आने लगता है। बुखार इसलिए आता ही है कि हमारा शरीर हमको दस्तक देकर बताता है इसमें कुछ प्रवेश कर गया है।
यह वायरस गला, फेफड़े, ह्रदय आदि अंगों को प्रभावित करता है। तापमान को नियंत्रित करने के लिए हम पेरासिटामोल का उपयोग करते हैं। साथ ही कई स्थानों पर कुछ परिस्थितियों में एस्ट्रो राइड का उपयोग भी किया जा रहा है। स्ट्रॉयड के प्रयोग से शरीर की कोशिकाएं हमारे शरीर के अंदर सूज कर खून को बाहर निकलने से रोकती हैं और वायरस के कारण खून शरीर के भीतर जमने लगता है और अचानक मृत्यु हो जाती है। कई बार ऐसा भी देखने में आता है कि मरीज ठीक होकर घर पर आता है और दवाइयों को लेने में लापरवाही होती है। हमें लगता है कि हम ठीक हैं लेकिन हमारे धमनियों में क्लोटिंग होती है जिसका हमें पता नहीं होता और खतरा बढ़ता जाता है।
ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जिन की जीवन शैली बहुत अच्छी नहीं होती।
जहां तक हो सके प्राकृतिक भोजन एवं 30 से 60 मिनट तक का व्यायाम योगासन अवश्य करें। जिससे हमारे साथ-साथ परिवार एवं बच्चे भी स्वस्थ जीवन शैली अपनाए। अच्छी आदते ही हमें मजबूत बनाती हैं। जीभ को ठीक लगने वाली चीजों से हमें तात्कालिक सुख का लाभ तो मिलता है परंतु हम ज्यादा बीमारी की तरफ अग्रसर हो जाते हैं। 35 वर्ष के पश्चात बीपी, शुगर और हृदय की स्थिति की जांच अवश्य कराएं ताकि पता चले कि अपने स्वास्थ्य की स्थिति कितनी ठीक है।
Q & A session
उन्होंने यह भी बताया कि कोविड-19 के संक्रमण में एस्ट्रोराइड के प्रयोग से मरीजों को राहत मिल रही है परंतु स्टोराइट का उपयोग बहुत ही सावधानी पूर्वक और चिकित्सक की देखरेख में ही करना ठीक है क्योंकि यह एक दोधारी तलवार की तरह है। इसके प्रयोग से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ती है। अतः ऐसे मरीज जिन्हें शुगर होता है उनके लिए यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। यह सामान्य मरीजों में भी शुगर की मात्रा को बढ़ा देता है जिसके अनेक दुष्परिणाम हो सकते हैं।
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि नारियल पानी बहुत अच्छी चीज है इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है परंतु कोविड-19 का क्या संबंध है इसके बारे में बता पाना संभव नहीं है।
उक्त कार्यक्रम का सफल संचालन आलोक दीक्षित ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रफुल्ल राय के द्वारा किया गया।
प्रख्यात चिकित्सक एवं आईएमए के पूर्व अध्यक्ष पदम श्री डॉक्टर केके अग्रवाल के कोरोनावायरस से निधन पर श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया।