ऐसे करे कोरोना का ईलाज- डॉ सूर्य कान्त

मंगलमान अभियान के ऑनलाइन इंटरएक्टिव सेशन – “मंगल संवाद” की 6ठी श्रृंखला मंगलवार ११ मई को शाम ५ बजे ज़ूम प्लॅटफॉम पर संपन्न हुई. इसमें देश के जाने माने चिकित्सक डॉ सूर्यकान्त त्रिपाठी ने कोरोना से बचने, संक्रमित होने पर ईलाज के तरीके और पोस्ट कोविड मैनेजमेंट पर ऑनलाइन सेशन में अपने विचार रखे और लोगो के प्रश्नो के उत्तर दिये। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए खास टिप्स भी दिये और कोविड वैक्सीन को रामबाण बतात्ते हुए सभी से अपील करते हुए खा कि किसी भी प्रकार के अफवाहों में पड़ने की आवश्यकता नहीं है। सभी को जल्द से जल्द टीकाकरण करवा लेना चाहिये।

इस कार्यक्रम का आयोजन मंगलमान अभियान के मंगल संवाद -इंटेरेक्टिव सेशन के अंतर्गत सेवा भारती, लखनऊ महानगर के सहयोग से किया गया। इसका लाइव प्रसारण विश्व संवाद केंद्र, अवध के फेसबुक पेज तथा मंगलमान अभियान के यूट्यूब चैनल पर भी किया गया।

डॉ सूर्यकांत ने बताया कि कोरोना बीमारी जिस माध्यम से आती है, हमें उस माध्यम को कट करना है। उसके फैलने के तीन प्रकार हैं- वह संक्रमित व्यक्ति, संक्रमित वस्तु या फिर छींकने से फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति से बचने के लिए हाथ ना मिलाना, गले ना मिलना आदि फॉलो करना है, जूते चप्पल में कोरोना का वायरस 5 दिन सरवाइव करता है। अतः जूते चप्पल को घर से बाहर रखें बार-बार हाथ होने से संक्रमित वस्तु के छू जाने पर वायरस नष्ट हो जाएगा अतः हाथ धोना नियमित रूप से करें।

संक्रमण का तीसरा तरीका किसी के छीकने से हवा में वायरस की उपस्थिति के द्वारा होता है जिसका रक्षा कवच मास्क है। अतः जब भी बाहर निकले दोहरा मास्क लगाकर ही निकले। जो व्यक्ति बाहर से घर में आता है यह मानकर चलें कि वह कोरोना पॉजिटिव है। ऐसे व्यक्तियों को एक्सटर्नली तथा इंटरनली दोनों प्रकार से सेनेटाइजेशन करना होगा। एक्सटर्नल सैनिटाइजेशन के लिए सर्वप्रथम नहाना आवश्यक है और इंटरनल सैनिटाइजेशन के लिए 5 मिनट भाप लेना। कपड़ों को उबलते पानी में डाले और फिर परिवार से मिले।

अगर किसी को भी संदेह हो तो वह टेस्ट कराए। लेकिन मेरा सुझाव है कि वह टेस्ट के चक्कर में बहुत ना पड़े। उन्होंने अपनी पिछले साल की कहावत – “हर बहती नाक कोरोना नहीं” को आज के संदर्भ में गलत बताया। आज हर बहती नाक को कोरोना वायरस से संक्रमित मानने की जरूरत है। सिर में दर्द, आंखों में खुजली, डायरिया, बदन दर्द आदि कोई भी लक्षण हो, कुछ भी ठीक ना लगे तो कोरोना मान कर चलिए। जब भी आपको लगता है कि आप की तबीयत ठीक नहीं है तो मान लीजिए कि आप 5 दिन पूर्व संक्रमित हो गए हैं।

डॉ सूर्यकांत ने यह भी कहा कि हमने 73 वर्षों में जो स्वास्थ्य तंत्र विकसित किया है वह आज पूरी तरह फेल हो गया है। हमारे घरों में दादी नानी ज्यादा प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी थी। आज आशा और यह एनम के भरोसे जो तंत्र खड़ा है वह पूरी तरह से लोगों को सेवा देने में असमर्थ है।

जिस व्यक्ति को भी ऐसा लगता है कि वह संक्रमित है उसे होम क्वॉरेंटाइन में जाना चाहिए लेकिन उसे अकेलापन महसूस ना हो ऐसी व्यवस्था करनी होगी। अकेलेपन में अवसाद उत्पन्न होता है और ऑक्सीजन लेवल घटता है। हिम्मत और हौसले से बड़ी कोई वैक्सीन नहीं होती। इसे पैदा करने की जरूरत है। इसमें मोटिलिटी रेट 1% से भी कम है और 99% लोग ठीक हो रहे हैं अतः ठीक होने की संभावना बहुत अधिक है।

आज घर में टीवी फ्रिज हो या ना हो ऑक्सीमीटर का होना अत्यंत आवश्यक है दो मैजिक नंबर सभी को याद रखने चाहिए पहला 94 और दूसरा 90 यदि आपका spo2 लेवल ९० -९४ के बीच हुआ तो आप अलर्ट हो जाइये। और लेवल ९० जाने लगे तो चिकित्स्कीय परामर्श लेकर हॉस्पिटलाइजेशन के बारे में सोंचे। लेकिन हॉस्पिटलाइजेशन को सदैव आखिरी विकल्प माने। यदि ऑक्सीजन लेवल घट रहा हो तो पेट के बल १०-१६ घंटे लेटे। इससे ऑक्सीजन लेवल निश्चित बढ़ेगा। अफरा तफरी मचाने से मरीज और तीमारदार अवसाद के शिकार होते है और तबियत और अधिक बिगड़ने का अंदेशा रहता है। अनावश्यक दवाइयों को इकठा करने और एडमिशन करने की दौड़ भाग से बचे। घर में आपके ठीक होने की सम्भावना अधिक है। अतः घर पर ही सुरक्षित माहौल बना कर रहे।

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