लखनऊ में २०२० का बड़ा मङ्गल: पूजनविधि, ऐतिहासिक महत्त्व और मान्यतायें

वर्ष 2020 में १२ मई को प्रथम मङ्गलवार,१९ मई को द्वितीय,२६ मई को तृतीय एवं २ जून को चतुर्थ मङ्गलवार है। ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले मंगलों को ही बड़ा मङ्गल कहते हैं। ऐसी जनश्रुति व प्रमाण मिलते हैं कि हनूमानजी उन सात चिरजीवियों में से एक हैं जिन्हें अमर होने का वरदान प्राप्त है-

अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविनः ॥

इस तरह श्री हनूमानजी विशेष रूप उन सात पवित्र देवताओं में से हैं सशरीर युगों-युगों से इस पृथ्वी पर विद्यमान हैं।

ऐसे में बजरंगबली के इस पावन पर्व पर उनकी विधि-विधान से पूजा करने पर सुख-समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। लाखों लोगों की भारी भीड़ होने के कारण षोडशोपचार सहित विधि-विधानपूर्वक श्रीहनूमानजी का आवाहन करके मन्दिर दर्शनार्थियों के लिए रात्रि १२ बजे ही २४ घण्टे के लिए खोल दिया जाता है।

इस दिन श्री हनूमानजी को पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ चना, गुड़, मीठी पूड़ी आदि का प्रसाद का भण्डारा होता है। इस दिन अन्न दान और जल दान का विशेष महत्त्व है।

ऐतिहासिक महत्त्व-
हिंदू और मुस्लिम दोनों ही भक्ति भाव से इस महापर्व को मनाते हैं। लखनऊ में बड़ा मङ्गल मनाने के पीछे मान्यता यह है कि एक समय यहां के नवाब सआदतअली खां (१७८९-१८१४) अत्यधिक बीमार पड़ गए, जिसके बाद उन्होंने स्वस्थ होने के लिए उनकी माँ आलिया बेगम ने हनूमानजी से मन्नत मांगी थी, जिसके पूरे होते ही उन्होंने एक विशाल मन्दिर बनवाया था जो आज अलीगंज में स्थित है।

यह भी कहा जाता है कि केसर और इत्र का व्यापार करने कुछ व्यापारी आए थे और उनका केसर बिक नहीं रहा था।नवाब वाजिद अली शाह ने पूरा केसर खरीद लिया। वह महीना ज्येष्ठ का और दिन मङ्गलवार था।ऐसा कहा जाता है व्यापारी सेठ जाटमल ने ज्येष्ठ के पहले मंगलवार को अलीगंज के मन्दिर में हनूमानजी की प्रतिमा स्थापना करवाई। व्यापारियों ने इसकी खुशी में यहां भंडारा लगाया और तब से यह परंपरा चल पड़ी।

संतान सुख की प्राप्ति एवं कष्ट से निवारण हेतु ज्येष्ठ के मङ्गल का तबसे विशेष महत्त्व है। लखनऊ में ज्येष्ठ मास के बड़े मङ्गल की अपनी एक विशेष महत्ता है क्योंकि इसी प्रथम मङ्गल को ही लोग मनोकामना पूर्ण’ के नाम से मानते हैं। सच्चे मन और आस्था से पूजा करने वालों को बल, बुद्धि, विद्या एवं महालक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसी मान्यता और परंपराओं के चलते ज्येष्ठ माह के सभी मङ्गलवार को श्रद्धालु बड़ा मङ्गल ही मानकर विशेष पूजा अर्चना करते हैं।

हनूमानजी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार माने जाते हैं। शास्त्र इस बात का साक्ष्‍य हैं और इस धरती पर एक कल्प तक सशरीर रहेंगे। हनूमानजी की पूजा और व्रत करने से घर में सुख-शांति का वास होता है और समृद्धि बढ़ती है।

ज्येष्ठ मास के सभी मङ्गलवार को इस प्रकार लगभग २०० वर्षों की मान्यताओं व परम्पराओं से श्रद्धालुओं के लिए लखनऊ की विरासत को सँजोये यहाँ के सम्पन्न व विपन्न हज़ारों लोग जल और भोजन प्रसाद की व्यवस्था करते चले आ रहे हैं।
श्री हनुमते नमः।

डॉo अशोक दुबे
सदस्य, उoप्रo संस्कृत संस्थान, लखनऊ।

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