कोरोना के प्रकोप से पूरा देश कराह रहा है। बहुत से लोग शहर में बाहर से पढ़ने, कमाने या फिर किसी और काम से आये थे और फंस गए हैं। अनेको के पास रहने, खाने का कोई इंतजाम नहीं है। कई लोग रेस्टोरेंट या ठेले पर बाटी-चोखा, पुड़ी-सब्जी खाकर पेट भरते थे। लॉक डाउन होने के कारण वे भी फस गए है और भूखे सो रहे हैं।
शहरी गरीबों की स्थिति तो और भी दयनीय है। जो लोग देहाड़ी मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते थे उनके काम धंधे बंद हो जाने के कारण अत्यंत ही दीन हीन अवस्था में पहुँच रहे है।
अनेको सरकारी, सामाजिक संस्थाएं चुनौतियों से निपटने का प्रयास कर रही है। परंतु, समस्या इतनी विकराल है कि प्रयासों की अनवरत श्रृंखलाएं भी ऊंट क मुँह में जीरा के जैसे है। अतः राहत कार्य के स्पीड और स्केल को लगातार बढ़ाते जाने की आवश्यकता है।
लखनऊ की श्रेष्ठ परम्पराओ में से एक पावन परंपरा है- ग्रीष्म काल अर्थात ज्येष्ठ के महीने में पड़ने वाले मंगल को लगने वाले भंडारे। जिसमे मानव ही क्या पशु पक्षी सभी की सुधा को शांत करने का सामर्थ्य है। लखनऊ वासी इस अवसर पर भंडारा आयोजित करके प्राणी मात्र की सेवा का अवसर पाते है और भगवन हनुमान की कृपा के पात्र बनते है।
कोरोना प्रकोप के कारण २०२१ के ज्येष्ठ मास में लगने वाले इन भण्डारो पर भी ग्रहण लगने की सम्भावना है।
इस महामारी के कारण उत्पन्न हुई विशेष परिस्थितियों के चलते इस बार के ज्येष्ठ के मंगलो (बड़ा मंगल) का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। आज की आवश्यकता हर मंगल को बड़ा मंगल और हर दिन को मंगल करने की है।
आइये हम संकल्प ले कि हम भी इस बार के जेठ को विशेष बनायेगे और बड़ा मंगल के पवित्र भाव का विस्तार करते हुए ज्येष्ठ माह के प्रत्येक दिन को मंगल भाव प्रकटायेगे और हर दिन को बड़ा मंगल मनाएंगे। हम भक्तो के रहते लखनऊ की सरजमीं पर कोई भूखा – प्यासा ना रहे।
बजरंग बली से करवद्ध प्रार्थना करे कि अपनी परंपरा के निर्वहन के साथ साथ “नर सेवा नारायण सेवा” का भाव हमारे अन्तःकरण में और तीव्रता से प्रस्फुटित हो और महाराज जी हमारे संकल्प को सिद्धि की ओर ले जाने का सामर्थ्य हम सभी को प्रदान करे।