सेवा है यज्ञ कुंड समिधा सम श जले… ध्येय महासागर का सरित बून्द हम बने.
इन्ही पंक्तियों को चरितार्थ करती हुई भावना आजकल लखनऊ में देखने को मिल रही है. बड़े मंगल के भंडारों में जहां एक और भक्ति की प्रबल भावना देखी जा सकती है वही दूसरी और कुछ नौजवान सेवा की भावना से ओत प्रोत हो मौन तपस्वी बन कर भण्डारो के पश्चात होने वाली गंदगी को चुपचाप स्वच्छता में परिवर्तित करने का काम कर रहे है.
तीसरे बड़े मंगल के अवसर पर रूद्राक्ष वेलफ़ेयर सोसाइटी के सभी कार्यकर्ताओं ने जगह जगह पर पत्तल व प्लास्टिक के गिलास को इकठ्ठा करके उन्हें कूड़ेदान तक पहुचाने का कार्य किया तथा समाज को यह संदेश भी दिया कि शहर व गलियां तभी साफ़ रह सकती है जब तक हम यह संकल्प न कर ले कि हमे अपने शहर को स्वच्छ रखना है तब तक यह शहर स्वच्छ नही रह सकता।।
श्री मान आदित्य दीक्षित जी की टीम का हम मंगल का मान बढ़ाने के लिए मंगलमान समिति हार्दिक अभिनन्दन करती है।